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सेब की खेती

जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य में सेब की खेती पर अनुदान प्रदान कर रही है

जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य में सेब की खेती पर अनुदान प्रदान कर रही है

जम्मू कश्मीर पूरी दुनिया में अपने सेब के लिए मशहूर है। जम्मू कश्मीर के लाखों लोग सेब की खेती के जरिए ही अपना जीवन यापन करते हैं। सेब की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए यह बड़े काम की खबर साबित होने वाली है। हमारे भारत में ही नहीं विदेशों में भी सेब को काफी अधिक पसंद किया जाता है। भारत में सेब की खेती कश्मीर राज्य में होती है। कश्मीर के मूल निवासी किसानों की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया सेब की खेती है। कश्मीर का सेब दुनिया भर में मशहूर है। जम्मू कश्मीर में लगभग 25 लाख लोगों को सेब की खेती से रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। हालांकि, इस वर्ष हुई प्रचंड बरसात की वजह से सेब की फसल को काफी क्षति पहुँची है। जिसको देखते हुए सरकार ने किसानों के फायदे हेतु एक कदम उठाया है। अब सरकार सेब की खेती करने के लिए अनुदान प्रदान करेगी। खबरों के अनुसार, जम्मू और कश्मीर भारत में कुल उत्पादित सेब के तकरीबन 80 प्रतिशत हिस्से में भागीदारी रखता है। सेब की खेती से प्रदेश को लगभग 1500 करोड़ रुपये की आमदनी अर्जित होती है। कश्मीर के कुपवाड़ा, गांदरबल, शोपियां, अनंतनाग, श्रीनगर, बडगाम और बारामुला जनपद में बड़े पैमाने पर सेब की खेती की जाती है।

सेब की विभिन्न किस्मों को मंगाकर भी उत्पादन किया जाएगा

जम्मू-कश्मीर प्रशासन और हॉर्टिकल्चर विभाग ने स्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य उच्च घनत्व वृक्षारोपण पर बल दिया है। इस वजह से राज्य के कृषकों की आमदनी में इजाफा होने की संभावना है। राज्य सरकार के इस उपयोग के दौरान यूरोप के देशों से सेब की भिन्न-भिन्न प्रजातियों को मंगा कर लगाया जाएगा। सेब की नवीन किस्मों के वृक्षारोपण के लिए जम्मू-कश्मीर हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट कृषकों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिड़ी देगी। इसके अतिरिक्त हॉर्टिकल्चर विभाग राज्य के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारियां भी प्रदान कर रहा है। यह भी पढ़ें: कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट द्वारा विकसित सेब की किस्म से पंजाब में होगी सेब की खेती

किसान भाइयों की आर्थिक स्थिति सशक्त बनेगी

अधिकारियों का कहना है, कि इस कदम से सेब के उत्पादन के साथ-साथ किसान भाइयों की आर्थिक हालत भी सशक्त होगी। हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के मुताबिक, बेहद जल्द ही नए किस्म के सेब को उपलब्ध करा दिया जाएगा।

हाई डेंसिटी एप्पल प्लांटेशन को लेकर अनुदान दिया जा रहा है

कश्मीर में हाई डेंसिटी एप्पल प्लांटेशन के चलते किसानों में दिलचस्पी बढ़ी है। साथ ही, कश्मीर में फिलहाल जगह-जगह पर रिवायती सेब के पेड़ों के स्थान पर इसी हाई डेंसिटी प्लांटेशन में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जिसमें जम्मू कश्मीर हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट की ओर से 50% प्रतिशत का अनुदान भी किसानों को इस नई तकनीक के अंतर्गत सेब उगाने के लिए दिया जा रहा है। उसके साथ-साथ हॉर्टिकल्चर डिपार्मेंट किसानों को उत्साहित करने के लिए हर प्रकार की तकनीकी जानकारियां भी किसानों के खेतों तक पहुंचा रही है। यह भी पढ़ें: सेब की फसल इस कारण से हुई प्रभावित, राज्य के हजारों किसानों को नुकसान

युवा किसानों की भी दिलचस्पी बढ़ रही है

अब कश्मीर में पढ़े-लिखे युवा भी खेती की तरफ रुचि दिखाने लगे हैं। साथ ही, हाई डेंसिटी एप्पल प्लांटेशन उनके लिए रोजगार का साधन होने के साथ-साथ आमदनी का बेहतरीन माध्यम बनता जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कश्मीरी सेब की मांग भारत के समेत संपूर्ण विश्व में है। इसी मिठास एवं रसीलेपन की वजह इसकी मांग संपूर्ण विश्व में है। अब ऐसी स्थिति में यह कश्मीरी लोगों के लिए आमदनी का एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है।
सेब की खेती संवार सकती है बिहारी किसानों की जिंदगी, बिहार सरकार का अनोखा प्रयास

सेब की खेती संवार सकती है बिहारी किसानों की जिंदगी, बिहार सरकार का अनोखा प्रयास

आप अभी बाजार में सेब (seb or apple) देखते होंगे तो आपको लगता होगा कि ये सेब या तो जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश या किसी ठंडे प्रदेशों से आया है, क्योंकि अब तक आप यही जानते थे कि सेब सिर्फ ठंडे प्रदेशों में होता है। लेकिन जब आप यह जानेंगे कि अब सेब बिहार में भी उगने लगा है तो आपको हैरानी होगी। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि बिहार सरकार के प्रयास से बीते साल बेगूसराय जिले में सेब की खेती (seb ki kheti or apple farming) की शुरुआत की गई थी, जिसमें वहां के किसानों ने काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। आपको यह भी बता दे कि अब तक सेब सिर्फ हिमालयी प्रदेशों में हुआ करता था। लेकिन सब कुछ अच्छा रहा तो अब सेब बिहार में भी उगेगा, यह एक अनोखा प्रयास है बिहार सरकार का, जिससे यहां के किसानों को काफी फायदा और लाभ मिलेगा।

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वैज्ञानिक की राय

भारत के सुप्रसिद्ध फल वैज्ञानिक, जो बिहार में फलों को लेकर बहुत दिनों से शोध करते हुए आ रहे हैं और किसानों को नई दिशा दे रहे हैं, उनके अनुसार सेब की खेती बिहार में किसानों के लिए वरदान है। उन्होंने बताया कि जब इसकी शुरुआत बेगूसराय में की गई तो शुरुआती दिनों में मौसम के कारण कुछ परेशानियां सामने आई, जिसे बिहार सरकार की मदद से ठीक कर लिया गया है और अब सेब की खेती सामान्य गति से हो रही है। गौरतलब है कि पूरे बिहार के किसान अब सेब की खेती में काफी बढ़ चढ़कर नई ऊर्जा और विश्वास के साथ हिस्सा ले रहे हैं। आने वाले दिनों में किसान को काफी लाभ होगा। बिहार में सेब की खेती एक खास किस्म के पौधों से संभव हो पायी है, जिसको वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार किया गया है, इसका नाम है, हरमन 99 या हरिमन 99 एप्पल (HRMN-99 Apple or Hariman 99 apple)। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इस नए किस्म की उपज 40-45 डिग्री तापमान पर भी संभव है और इसी गुण के कारण यह बिहार ही नहीं अपितु राजस्थान में भी इसको उगाने का प्रयास किया जा रहा है और यह लगभग सफल होता भी साबित हो रहा है।

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यही खूबी है कि इसकी उपज आने वाले कुछ दिनों में और भी अच्छी हो जाएंगी और बिहारी सेब भी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जगह बना लेगा। आपको बता दें कि इसका प्रजनन भी स्वपरागण (self pollination) के द्वारा होगा, ताकि इसे किसी भी बगीचे में आसानी से उगाया जा सकता है। आपको बता दे कि बिहार के बेगूसराय और औरंगाबाद के कुछ जिलों में किसान अपने स्तर से इसकी खेती कर रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि इसका पैदावार भी बहुत उन्नत किस्म का है, इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में बिहार के सेब का स्वाद और रंग कश्मीर और हिमाचल वाले सेब से कम नही होगा।

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किसानों को विशेष प्रशिक्षण

बिहार सरकार बिहारी सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसे एक अभियान की तरह चला रही है। इसके पैदावार को बढ़ाने के लिए इच्छुक किसान को प्रशिक्षण भी देने की बात कही है, ताकि वे सेब की खेती से जुड़े हर तकनीक को समझ सके। बिहार सरकार और वैज्ञानिक डॉक्टर एस के सिंह का भी मानना है कि अगर किसान पारंपरिक खेती जैसे धान, गेहूं आदि के अलावा सेब की खेती पर ध्यान देते हैं, तो यह वाकई में उनके लिए एक वरदान से कम नही होगा और उनकी आय भी आने वाले दिनों में दुगुनी, तिगुनी हो सकती है।
बम्पर फसल के बावजूद कश्मीर का सेब उद्योग संकट में, लगातार गिर रहे हैं दाम

बम्पर फसल के बावजूद कश्मीर का सेब उद्योग संकट में, लगातार गिर रहे हैं दाम

इस साल भारत में सेब (Apple) की जमकर फसल हुई है। इसके बावजूद भारतीय सेब उत्पादक बेहद परेशान हैं क्योंकि मंडियों में उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। कश्मीर में सेब उत्पादकों के लिए अब लागत खर्च निकाल पाना बेहद मुश्किल हो गया है। कश्मीर में अगस्त के महीने से सेब की नई फसल आ जाती है। अगस्त माह से लेकर अब तक मात्र 20 प्रतिशत सेब ही मंडियों तक पहुंचा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि लगातार घटते हुए भावों की वजह से सेब की मांग में भारी कमी आई है। कश्मीर के सेब किसान, सेब के कम दामों के लिए रूस को जिम्मेदार बता रहे हैं। किसानों का कहना है कि रूस का सेब अफगानिस्तान होते हुए भारत में भेजा जा रहा है, जिसके कारण घरेलू बाजार में सेब की उपलब्धता बढ़ गई है और किसानों को मन मुताबिक़ दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों का कहना है कि सेब की खेती में अब मुनाफा बेहद कम रह गया है, क्योंकि खेती करने का खर्च बहुत ज्यादा बढ़ चुका है और उसके मुकाबले में सेब की खेती से होने वाली आय दिनोदिन घटती जा रही है। पिछले कुछ महीनों में खाद, कीटनाशक दवाओं, डीजल आदि के दामों में खासी बढ़ोत्तरी हुई है, इसके मुकाबले किसानों की आय उस हिसाब से नहीं बढ़ी है। पिछले साल कश्मीर घाटी में एक पेटी सेब की कीमत 1000 रूपये थी, अब वही पेटी मात्र 550 रूपये में बिक रही है। इस दौरान सेब के पैकिंग का खर्चा भी बढ़ा है। पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली रद्दी और सूखी घास की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है, इसके साथ ही गत्ते के डिब्बे की कीमत और मजदूरी भी लगभग डेढ़ से दोगुनी हो गई है, जिसके कारण सेब किसान लगातार परशानियों का सामना कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार पिछले साल कश्मीर में कुल 180860 मीट्रिक टन सेब की पैदावार हुई थी, जिसमें इस साल 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई है, जो एक मामूली बढ़ोत्तरी है। इस साल पिछले साल की अपेक्षा अच्छी क्वालिटी का सेब उत्पादित हुआ है, इसके बावजूद सेब की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। किसानों को उनकी फसल का पर्याप्त दाम न मिलने के कारण वो तनाव में हैं। बाजार में सेब के कम दामों को देखकर अधिकारियों से लेकर फलों की मार्केटिंग से जुड़े लोग भी हैरान हैं।

हिमाचल के सेब से मिल रही है सीधी चुनौती

फलों के व्यापार से जुड़े लोग और जम्मू कश्मीर के सरकारी अधिकारी भी ये मानते हैं कि कश्मीरी सेब को देश में ही चुनौती मिल रही है। हिमाचली सेबों ने बाजार में बेहतर पकड़ बना रखी है। खुद कश्मीरी अधिकारी इस चीज को मान रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक पैकिंग और ग्रेडिंग के मामले में जम्मू कश्मीर के किसानों से बेहतर काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से कश्मीरी सेब को बाजार में कड़ी टक्कर मिल रही है। सेब उगाने के मामले में भले ही हिमाचल प्रदेश कश्मीर से पीछे है, लेकिन हिमाचली किसानों के द्वारा सेब के डिब्बों की अलग-अलग तरह की पैकिंग ग्राहकों को आकर्षित करती है, जिसके कारण हिमाचली सेब बाजार में ज्यादा जल्दी बिकता है।

विदेशों में घट रही है कश्मीरी सेब की मांग

विदेशों में भी अब कश्मीरी सेब की मांग में लगातार गिरावट देखी जा रही है। पिछले साल दुबई के लूलू ग्रुप ने कश्मीर से सेब खरीदने के लिए करार किया था, लेकिन बाद में क्वालिटी का हवाला देकर उन्होंने सेब खरीदने से इंकार कर दिया। भारतीय व्यापारियों ने लूलू ग्रुप को जो सैम्पल भेजा था, वह परफेक्ट नहीं था। उसमें अलग-अलग साइज और अलग-अलग किस्म के सेब थे। व्यापारियों ने चालाकी दिखाते हुए कुछ घटिया सेब लूलू ग्रुप को बेचने की कोशिश की थी, जो उन पर ही भारी पड़ी। पिछले कुछ सालों से रूस में सेब के उत्पादन में भारी बढ़ोत्तरी हुई है, इसका कारण रूस के भीतर सरकार के द्वारा सेब की खेती को प्रोत्साहित करना है। साल 2018-19 में रूस में मात्र 190784 हेक्टेयर में सेब की खेती की जाती थी। लेकिन अब किसानों के बीच सकारात्मक रुझान के बीच, सेब की खेती बढ़कर 197600 हेक्टेयर में होने लगी है, जिससे रूस में सेब का बम्पर उत्पादन होने लगा है। इन दिनों रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रूस के ऊपर कई प्रकार के प्रतिबन्ध लगा दिए गए हैं, जिसके कारण रूसी व्यापारी अपने देश में उत्पादित हुई सेब की फसल निर्यात नहीं कर पा रहे हैं। अफगानिस्तान के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाकर रूसी व्यापारी बड़ी मात्रा में सेब भारत में भेज रहे हैं, जो भारतीय बाजार में घरेलू सेब की कीमतों को प्रभावित कर रहा है।

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भारतीय अधिकारी इससे इंकार कर रहे हैं कि भारतीय बाजार में चोरी छिपे रूस का सेब पहुंच रहा है। हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि भारतीय बाजार में सेब की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। कई लोग बताते हैं कि सेब के दामों को नियंत्रित करने में सेब माफियाओं का बड़ा हाथ है। ये ज्यादातर सेब व्यापारी हैं और सेब के बिजनेस में इनकी मजबूत पकड़ है। ये व्यापारी दिल्ली की आज़ादपुर मंडी में सक्रिय है। यह एक बड़ी थोक मंडी है जहां देश का ज्यादातर सेब बिकने के लिए आता है। यहीं से सेब देश के अन्य हिस्सों में भेजा जाता है। इसलिए आज़ादपुर मंडी में सक्रिय सेब माफिया अपने हिसाब से सेबों के दामों को बढ़ा या घटा सकते हैं। कई बार व्यापारी सेब के दाम 'कश्मीर ऐपल मार्केटिंग एसोसिएशन' के निर्देश पर भी तय करते हैं। सेबों के दाम आजकल पूरी तरह से बाजार पर निर्भर हो गए हैं। इसलिए सेब किसानों को चाहिए कि वो उत्पादन से लेकर पैकिंग और विक्रय तक, नई तकनीकों का इस्तेमाल करें ताकि सेब उत्पादन से लेकर सेब के विक्रय में बढ़ रहे खर्चों पर लगाम लगाई जा सके। किसान यदि पुराने तरीकों को छोड़कर नए तरीकों को अपनाते हैं, तो निश्चित रूप से लागत में कमी की जा सकती है। इसके साथ-साथ नई तकनीक और नई मशीनों को अपनाने से किसानों के समय की भी बचत होगी।
हिमाचल में सेब की खेती करने वाले किसान, ड्रोन का प्रयोग मुनाफा करेंगे दोगुना

हिमाचल में सेब की खेती करने वाले किसान, ड्रोन का प्रयोग मुनाफा करेंगे दोगुना

आये दिन देख रहे होंगे की पूरे भारत में लगातार नई नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे खेती-किसानी और भी आसान होते जा रही है। केंद्र व राज्य सरकार भी बहुत योजनाएं चला रही है, जिससे खेती किसानी और भी आसान होते जा रही है। लेकिन ये जो नई प्रयोग राज्य सरकार के द्वारा हो रही है, वह वाकई में काबिले तारीफ है। यह प्रयोग उन किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद है जो पहाड़ी और पठारी इलाकों में खेती कर अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। आपको बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी की शुरुआत की है, जिससे किसानों को काफी मदद मिल रही है, जिनसे वह अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। इसी की योजनाओं की कड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेब की खेती कर रहे किसानों के लिए एक बहुत अच्छा प्रयोग शुरू किया है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जब यह प्रयोग का सफल परीक्षण हो जाएगा, तब किसान सेब की खेती कर अपना सामान बाजार तक आसानी से पहुंचा सकेंगे।
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अब क्या होगा फायदा

बीते दिन हिमाचल प्रदेश में एक अनोखा प्रयोग का परीक्षण किया गया जो कि सफल रहा। आपको बता दे इस प्रयोग से पहले सेब की खेती कर रहे किसानों को अपने फल को मंडी तक पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। मज़दूरों के द्वारा सेब को ढोने में काफी समय लगता था व काफी नुकसान भी होते थे, जिससे किसान को मुनाफ़े की जगह घाटा का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब सफल परीक्षण के बाद किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि यह प्रयोग हिमाचल प्रदेश के किनौर के निचार गांव में हुआ है। निचार गांव के सेब बगान और वहाँ के पंचायत प्रतिनिधियों ने इस परीक्षण को किया है, जिसमें उन्होंने ड्रोन से सेब की पेटी को जिसका वजन लगभग 18 किलो के आसपास होता है, उसको इस ड्रोन के माध्यम से लगभग 12 किलोमीटर तक हवाई मार्ग के सहारे पहुंचाने में सफल रहा। इस तरीके के प्रयोग से सेब की खेती करने वाले किसान अब अपना सेब आसानी से कम समय में पहाड़ पर से नीचे उतार सकते हैं। इसमें मजदूर के तुलना में खर्च भी बहुत कम लगता है।
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गौरतलब हो की पहाड़ पर रोड की स्थिति सही नही होने के कारण बगान वालो को अपने फल की उचित कीमत नहीं मिल पाती है और सेब के पैकिंग से लेकर उसको बाजार तक पहुंचने में समय भी काफी अधिक लग जाता है, जिससे सेब भी खराब हो जाता है और किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।

क्या कह रहे है किसान

वहां के किसानों का कहना है कि "इस प्रयोग से हम लोग को काफी लाभ मिलेगा और हमारे सेब का उचित मूल्य भी मिल पाएगा”। किसान का यह भी कहना है कि पहले व्यापारी भी रास्ते में देरी होने की वजह से कीमत काफी कम देते थे जिससे किसानों को काफी नुकसान सहन करना पड़ता था, जो अब इस परीक्षण के सफल हो जाने से खतम हो जायेगा। आपको यह भी बता दें कि ड्रोन के प्रयोग से अब किन्नौर में सेब व अन्य सामग्री को गंतव्य तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट द्वारा विकसित सेब की किस्म से पंजाब में होगी सेब की खेती

कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट द्वारा विकसित सेब की किस्म से पंजाब में होगी सेब की खेती

खेती-किसानी के क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विशेषज्ञों का काबिल ए तारीफ योगदान रहता है। अगर वैज्ञानिक शोध करना बंद करदें तो किसानों को कृषि से उत्पन्न होने वाले नवीन आय के संभावित स्त्रोतों की जानकारी नहीं मिलेगी। जिससे खेती किसानी एक सीमा में ही सिमटकर रह जाएगी। किसानों को काफी फायदा होगा। कृषि विशेषज्ञों ने अब पंजाब की मृदा एवं जलवायु के अनुकूल सेब की किस्म विकसित की है। जी, हाँ अब पंजाब के किसान भाई भी सेब का उत्पादन करके अच्छी खासी आमदनी कर पाएंगे। जैसा कि हम जानते हैं, पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य के तौर पर जाना जाता है। उत्तर प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि और उपयुक्त जलवायु होने की वजह के चलते इसको छोड़के दूसरे स्थान पर पंजाब राज्य में सर्वाधिक गेहूं की खेती की जाती है। हालाँकि, अब पंजाब के किसान सेब का भी उत्पादन कर सकेंगे। दरअसल, कृषि विज्ञान केंद्र पठान कोट के जरिए एक ऐसी सेब की किस्म विकसित की गई है। जो कि पंजाब की जलवायु हेतु बिल्कुल उपयुक्त मानी जाती है। ऐसे में अब पंजाब के किसान सेब का उत्पादन करके बेहतरीन आय कर सकेंगे। मुख्य बात ये है, कि सेब की इस किस्म की खेती करने पर कम खर्चा आएगा।

सेब की खेती से बढ़ेगी किसानों की आमदनी

दैनिक भास्कर के अनुसार, कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट का सेब के ऊपर चल रहा परीक्षण सफलतापूर्वक हो चुका है। अब पंजाब के किसान पारंपरिक फसलों के अतिरिक्त सेब की खेती कर सकते हैं। इससे उन्हें अधिक आमदनी होगी। कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट के अधिकारी सुरिंदर कुमार ने बताया है, कि राज्य सरकार किसानों को फसल चक्र से बाहर निकालना चाहती है। जिससे कि वह बाकी फसलों की खेती कर सकें। ऐसे में सेब की खेती पंजाब में खेती किसानी करने वाले कृषकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी।

अब गर्म जलवायु वाला पंजाब भी सेब का उत्पादन करेगा

अगर हम आम आदमी के नजरिये को ध्यान में रखकर बात करें तो अधिकाँश लोगों का यह मानना है, कि सेब का उत्पादन केवल ठंडे राज्यों में किया जा सकता है। विशेष रूप से उन जगहों पर जहां बर्फबारी हो रही है। हालाँकि, अब वैज्ञानिकों के प्रयासों से पंजाब जैसे अधिक तापमान वाले राज्य में भी सेब की खेती की जा सकती है। इतना ही नहीं अब कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट कृषकों को सेब के उत्पादन हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जागरूक करने का कार्य करेगा। ये भी पढ़े: सेब की खेती संवार सकती है बिहारी किसानों की जिंदगी, बिहार सरकार का अनोखा प्रयास

गेंहू की भी तीन नवीन किस्म विकसित की थी

बतादें, कि खेती करने के दौरान लागत को कम करने के लिए और उत्पादन को अधिक करने के लिए देश के समस्त विश्वविद्यालय वक्त-वक्त पर नवीन किस्मों को विकसित करते रहते हैं। बतादें, कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा बीते माह गेंहू की तीन नवीन किस्मों को विकसित किया गया था। जिसके ऊपर अधिक तापमान का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सेब की इस किस्म की मुख्य विशेषता यह है, कि गर्मी का आरंभ होने से पूर्व ही यह पककर कटाई हेतु तैयार हो जाएगी।

यह किस्म HD-2967 एवं HD-3086 किस्म की तुलना में ज्यादा पैदावार देता है

खबरों के अनुसार, ICAR के वैज्ञानिकोंं ने बताया था, कि उन्होंने गेहूं की जिस किस्म को विकसित किया था। उनका प्रमुख उदेश्य बीट-द-हीट समाधान के अंतर्गत बुवाई के वक्त को आगे करना है। यदि इन नवीन विकसित किस्मों की बुवाई 20 अक्टूबर के मध्य की जाती है। तो यह होली से पूर्व पक कर कटाई हेतु तैयार हो जाएगी। मतलब कि गर्मी आने से पहले पहले इसको काटा जा सकता है। बतादें कि पहली किस्म का नाम HDCSW-18 है। यह HD-2967 व HD-3086 किस्म के तुलनात्मक अधिक गेहूं की पैदावार देगी।
सेब की फसल इस कारण से हुई प्रभावित, राज्य के हजारों किसानों को नुकसान

सेब की फसल इस कारण से हुई प्रभावित, राज्य के हजारों किसानों को नुकसान

बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से किसानों को जमकर नुकसान पहुँचा रही है। हिमाचल प्रदेश में विगत 6-7 दिनोें से हो रही बारिश और ओलावृष्टि की वजह से सेब की फसलों को काफी ज्यादा हानि पहुंची है। खरीफ की भांति रबी का सीजन भी किसान भाइयों के लिए बेहतर नहीं रहा है। मार्च में हुई बारिश, ओलावृष्टि के चलते गेहूं और सरसों की फसल चौपट हो गई थी। इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी बारिश-ओलावृष्टि से फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं। वर्तमान में ऐसे ही खराब मौसम की वजह से सेब के बर्बाद होने की बात सामने आ रही हैं। सेब को महंगी एवं पहाड़ी राज्यों की विशेष फसल मानी जाती है। ऐसी स्थिति में इस फसल के क्षतिग्रस्त होने के चलते किसानों की चिंता बढ़ गई हैं। किसान भाई काफी परेशान हैं, कि उसके नुकसान की भरपाई किस प्रकार की जाए। यह भी पढ़ें : कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट द्वारा विकसित सेब की किस्म से पंजाब में होगी सेब की खेती

इस राज्य में ओलावृष्टि से हुआ नुकसान

मूसलाधार बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हानि हो रही है। कुल्लू की लग घाटी, खराहल घाटी और जनपद के ऊपरी क्षेत्रों में फसलों को बेहद हानि हुई है। बहुत से स्थानों पर काफी बड़ी संख्या में कच्चे सेब ही पेड़ से नीचे गिर चुके हैं। यहां तक कि उनकी टहनियां तक भी टूट गई हैं।

फसल में 80% प्रतिशत तक हानि की आशंका

लगातार बारिश, अंधड़ एवं ओलावृष्टि का प्रभाव सीधे सीधे फसलों व फलों पर देखने को मिल रहा है। जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के माध्यम से नुकसान हुई फसल का सर्वेक्षण करना चालू कर दिया गया है। इसी कड़ी में स्थानीय किसानों ने बताया है, कि बारिश 6 से 7 दिन से निरंतर हो रही है। ऐसी हालत में 50 से 80 प्रतिशत तक हानि होने की संभावना है।

राज्य में बढ़ती ठंड और बारिश से हजारों की संख्या में किसान बर्बाद

सेब की अब फ्लावरिंग हो रही है। इस घड़ी में हुई बारिश और बढ़ी ठंड की वजह से सेब के फूलों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। फलदार पौधे, मटर,नाशपाती, प्लम सहित बाकी सब्जियों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। खबरों के मुताबिक, घाटी में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में बागवानी हो रही है। जिससे लगभग 75 हजार परिवार प्रत्यक्ष रूप से खेती से जुड़े हैं। अब ऐसी हालत में इन परिवारों को भारी नुकसान हुआ है।
इतने रूपये किलो से कम भाव वाले सेब के आयात पर लगा प्रतिबंध

इतने रूपये किलो से कम भाव वाले सेब के आयात पर लगा प्रतिबंध

भारत सरकार के द्वारा सेब कारोबारियों को काफी सहूलियत प्रदान की गई है। 50 रुपये से कम कीमत वाले सेब के आयात पर रोक लगा दी है। इससे भारत में सेब व्यापार से जुड़े कारोबारियों एवं कृषकों की आमदनी में काफी इजाफा किया जाएगा। विदेशों के सेबों की कीमत कम होने की वजह से भारत में उत्पादित किए जाने वाले सेब की स्थिति काफी खराब थी। सेब कारोबारियों द्वारा किया गया खर्चा तक नहीं निकल पा रहा था। बतादें, कि आमदनी का सौदा माने जानी वाली फसल से कृषक धीरे-धीरे दूर होने लगे थे। इसी कड़ी में केंद्र सरकार की तरफ से सेब उत्पादकों एवं कारोबारियों को एक बड़ी राहत दी है। इससे देश में सेब कारोबार से जुड़े सभी किसान एवं कारोबारियों की आमदनी में अच्छा खासा इजाफा होगा। जब किसी चीज का मूल्य कम या ज्यादा होता है, तो उसकी मांग सीधे तौर पर परिवर्तित होती है।

केंद्र सरकार द्वारा सेब से जुड़ी नई शर्त लागू की गई है

केंद्र सरकार द्वारा सेब आयात पर अब नई शर्त लागू हो चुकी है। इसके अंतर्गत 50 रुपये किलो से कम भाव के सेब का आयात नहीं किया जाएगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा इससे जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिसूचना के मुताबिक, अगर सीआईएफ (माल ढुलाई, लागत, बीमा) आयात कीमत 50 रुपये किलो से कम होती है, तब उस स्थिति में इस तरह के सेब का आयात प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। ये भी पढ़े: बम्पर फसल के बावजूद कश्मीर का सेब उद्योग संकट में, लगातार गिर रहे हैं दाम

केवल इस देश पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा

न्यूनतम आयात मूल्य से जुड़ी शर्तें भूटान से आयात किए जाने वाले सेब पर लागू नहीं की जाऐंगी। शर्ताें के मुताबिक, सीआईएफ आयात मूल्य 50 रुपये प्रति किलोग्राम से कम आएगा। इससे आयात काफी प्रतिबंधित होगा। परंतु, न्यूनतम आयात मूल्य की शर्तें भूटान पर लागू नहीं की जाऐंगी।

कश्मीरी सेब उत्पादक और कारोबारी काफी चिंतित थे

भारत में ईरान से सेब का अत्यधिक मात्रा में आयात किया जाता है। ईरान से सेब की बहुत सारी बड़े स्तर पर सेब की खेप की जाती है। इसके चलते भारत में सेब काफी हद तक सस्ती कीमतों पर बिकता है। भारत में जम्मू कश्मीर एक बड़ा सेब उत्पादक राज्य है। परंतु, यहां का सेब विदेशों के सेब से कुछ ज्यादा महंगा होता है, इस वजह से लोग सस्ते के चक्कर में कश्मीरी सेब नहीं खरीदते हैं। आयात पर शर्ते लगाने अथवा प्रतिबंध लगाने की मांग सेब कारोबारी काफी वक्त से कर रहे थे। हालाँकि, वर्तमान में सेब पर प्रतिबंध लगने से सेब कारोबारी और किसान काफी ज्यादा प्रशन्न हैं। ये भी पढ़े: हाइवे में हजारों ट्रकों के फंसने से लाखों मीट्रिक टन सेब हुआ खराब

भारत इन देशों से सेब आयात करता है

भारत सेब आयात विभिन्न देशों से करता है। भारत को सेब भेजने वाले देशों के अंतर्गत अफगानिस्तान, फ्रांस, बेल्जियम, चिली, इटली, तुर्की, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पोलैंड, ईरान, ब्राजील, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य देश भी शम्मिलित हैं। अप्रैल-फरवरी 2023 में भारत द्वारा 260.37 मिलियन डॉलर सेब आयात किया गया था, जबकि 2021-22 में यह 385.1 मिलियन डॉलर तक रहा है।
यह राज्य सरकार सेब की खेती पर किसानों को 50% प्रतिशत अनुदान दे रही है, जल्द आवेदन करें

यह राज्य सरकार सेब की खेती पर किसानों को 50% प्रतिशत अनुदान दे रही है, जल्द आवेदन करें

आजकल बिहार में किसान बड़े पैमाने पर सेब की पैदावार कर रहे हैं। इससे सेब उत्पादक किसानों को लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। बतादें, कि दरभंगा, समस्तीपुर, पटना, औरंगाबाद और कटिहार समेत पूरे बिहार में बड़े स्तर पर सेब की खेती की जा रही है। बिहार में किसान फिलहाल पारंपरिक फसलों की खेती के स्थान पर बागवानी फसलों की खेती में अधिक रूचि ले रहे हैं। यही कारण है, कि राज्य सरकार बागवानी फसलों के लिए बंपर अनुदान मुहैय्या कर रही है। बिहार सरकार का कहना है, कि बागवानी फसलों की खेती से किसान भाइयों की आमदनी में काफी वृद्धि होगी। जिससे उनकी स्थिति काफी हद तक सुधरेगी। अतः वे अपने परिवार को बेहतर और समुचित सुविधाएं दे सकेंगे। ऐसे भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने विशेष उद्यानिक फसल योजना के अंतर्गत सेब की खेती करने वाले किसान भाइयों को अनुदान देने का निर्णय किया है।

बिहार में हो रही सेब की खेती

आम तौर पर लोगों की यह धारणा है, कि सेब की खेती केवल हिमाचल प्रदेश और जम्मू- कश्मीर में ही की जाती है। हालाँकि, अब इस तरह की कोई बात नहीं है। फिलहाल, बिहार में किसान बड़े पैमाने पर सेब की खेती कर रहे हैं। इससे किसान भाइयों को लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। बतादें, कि कटिहार, दरभंगा, समस्तीपुर, पटना और औरंगाबाद समेत पूरे बिहार में सैंकड़ों की तादात में किसान सेब की खेती कर रहे हैं। यहां के किसान हिमाचल प्रदेश से सेब के पौधे लाकर अपने खेतों में रोप रहे हैं।

बिहार सरकार ने 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की है

सेब की खेती के प्रति किसानों की रूचि को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में सेब के रकबे का विस्तार करने की योजना बनाई है। बिहार सरकार यह चाहती है, कि किसान भाई ज्यादा से ज्यादा संख्या में सेब की खेती करें। जिससे कि उनकी आमदनी में इजाफा हो सके। साथ ही, राज्य की अर्थव्यवस्था को भी काफी मजबूती मिलेगी। यही वजह है, कि प्रदेश सरकार ने सेब की खेती करने वाले कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला लिया है। यह भी पढ़ें: यूट्यूब से सीखकर चालू की सेब की खेती, अब बिहार का किसान कमाएगा लाखों

बिहार सरकार किसानों को कितना अनुदान देगी

विशेष बात यह है, कि सरकार ने सेब की खेती करने हेतु प्रति हेक्टेयर इकाई खर्चा 246250 रुपये तय किया है। इसके ऊपर से किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। मतलब कि सरकार किसान भाइयों को 123125 रुपये मुफ्त में प्रदान करेगी। हालांकि, फिलहाल इस योजना का फायदा केवल कटिहार, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद और वैशाली जनपद के किसान ही ले पाऐंगे।

बिहार सरकार इन फसलों पर भी अनुदान दे रही है

बतादें, कि बिहार सरकार राज्य में बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न फसलों पर अनुदान प्रदान कर रही है। फिलहाल, सरकार आम, केला, कटहल, पान, चाय एवं प्याज की खेती करने पर भी बेहतरीन अनुदान दे रही है। जानकारी के लिए बतादें, कि इसके लिए किसान भाई उद्यान निदेशालय की ऑफिसियल बेवसाइट पर जाकर आवेदन करें।
यूट्यूब से सीखकर चालू की सेब की खेती, अब बिहार का किसान कमाएगा लाखों

यूट्यूब से सीखकर चालू की सेब की खेती, अब बिहार का किसान कमाएगा लाखों

आजकल किसान बदलते दौर में खुद भी काफी सजग और जागरूक होते जा रहे हैं। किसान प्रगति और उन्नति के पथ पर अग्रसर होते जा रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही विकासशील किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी लगन और मेहनत से एक अच्छी कामयाबी हांसिल की है। हम बात कर रहे हैं, बिहार के किसान खुर्शीद आलम की जिन्होंने लगभग एक एकड़ भूमि के हिस्से में सेब के पौधे लगाए हैं। दरअसल, उनके द्वारा उगाए गए पौधों में से 20 प्रतिशत पौधे सूख गए है। हालाँकि, बचे कुचे 80 प्रतिशत पौधों पर फल लगे हुए हैं। सेब का नाम कान में पड़ते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। यह एक ऐसा फल है, जिसका सेवन करने से शरीर को प्रचूर मात्रा में विटामिन्स एवं पोशक तत्व प्राप्त हो जाते हैं। यही कारण है, कि बीमार होने की स्थिति में चिकित्सक भी लोगों को सेब का सेवन करने की सलाह देते हैं। दरअसल, लोगों का मानना है, कि सेब की खेती सिर्फ कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ही की जाती है। परंतु, अब ये सब बातें काफी पुरानी हो चुकी हैं। आजकल बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे गर्म जलवायु वाले प्रदेशों में भी किसान सेब की खेती कर रहे हैं। इससे किसानों को काफी मोटी आमदनी भी हो रही है। यही वजह है, कि आहिस्ते-आहिस्ते बिहार में सेब की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है। 

खुर्शीद आलम ने किस तरह शुरू की सेब की खेती

खबरों के मुताबिक, बिहार के पूर्णिया जनपद में एक किसान ने यूट्यूब पर देखकर सेब की खेती करनी चालू की है। इसमें किसान को सफलता भी हांसिल हुई है। किसान खुर्शीद आलम ने बताया है, कि ह वह पहले धान एवं गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों का उत्पादन करते थे। परंतु, उसमें परिश्रम काफी ज्यादा करना पड़ता था और मुनाफा काफी ज्यादा कम होता था। ऐसे में मुझे सेब की खेती करने का विचार आया। इसके उपरांत खुर्शीद आलम ने यूट्यूब से सेब की खेती करने का प्रशिक्षण लिया। खुर्शीद आलम ने गर्म प्रदेश में उगाए जाने वाले हिमाचली सेब की किस्म अन्ना एवं हरिओम 91 के पौधों को अपने बाग में रोपे हुए हैं। इसके लिए खुर्शीद ने 100 रुपये प्रति पौधे की दर से हिमाचल प्रदेश से पौधे मंगवाये थे। 

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कितने माह में फल आना शुरू हो गए हैं

खुर्शीद आलम ने लगभग एक एकड़ में सेब के पौधे लगाए हैं। दरअसल, 20 प्रतिशत पौधे सूख गए जबकि 80 फीसदी पौधों में फल लग गए हैं। उन्होंने बताया है, कि सेब की खेती का परीक्षण यदि सफल रहा तो, आगामी वर्षों में वह और ज्यादा भूमि के रकबे में हिमाचली सेब की खेती करेंगे। खुर्शीद आलम ने कहा कि विगत वर्ष जनवरी माह में उन्होंने अपनी एक एकड़ भूमि पर सेब के 100 पौधे लगाए थे। 15 महीने के उपरांत इन पौधों पर फल आने चालू हो गए हैं। उनकी माने तो यह पौधे 25 वर्षों तक फल देते रहेंगे। इससे उनकी अच्छी खासी आमदनी होगी। 

किसान एक एकड़ में कितने सेब के पेड़ लगा सकते हैं

खुर्शीद ने बताया है, कि यदि किसान चाहें, तो एक एकड़ में 150 सेब के पौधे भी रोप सकते हैं। उनका कहना है, कि सेब का पौधा लगाने से पूर्व 2×2 का गड्ढा खोदना पड़ता है। इसके उपरांत पौधे लगाने से पूर्व गड्ढों में वर्मी कंपोस्ट सहित चिकनी मिट्टी भी डालनी पड़ती है। इससे पौधे की काफी बेहतरीन वृद्धि होती है एवं वह वक्त पर ही फल देने लग जाते हैं। साथ ही, वक्त-वक्त पर कीटों से संरक्षण हेतु पौधों के ऊपर स्प्रे भी करना पड़ेगा। खुर्शीद आलम ने बताया है, कि अभी पेड़ों पर छोटे- छोटे फल आने शुरू हो गए हैं। यदि मौसम ने साथ दिया तो काफी मोटा फायदा होगा। इसके उपरांत सेब के उत्पादन रकबे को और ज्यादा करूँगा।